सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीनेमिकुमार की बारात चढ़ रही थी। वह रथ में सवार थे। उनका रथ जैसे ही एक अहाते के सामने पहुंचा, तो उन्होंने देखा कि कुछ कसाई पशुओं को हांकते हुए अहाते में ले जा रहे हैं और कुछ पशु रस्सी छुड़ा कर भागने की कोशिश कर रहे हैं। नेमिकुमार ने रथ के सारथी से पूछा, ये पशु अहाते में क्यों ले जाए जा रहे हैं? सारथी ने जवाब दिया, आपके विवाह में शामिल होने वाले म्लेच्छ राजाओं के भोज के लिए इन पशुओं की हत्या की जाएगी। नेमिकुमार को जैसे ही निरीह पशुओं की हत्या किए जाने का पता चला, तो उनका हृदय हाहाकार कर उठा। उन्होंने रथ रुकवाया और पशुओं के पास जा कर उनके रस्से खोल दिए।पशुओं को मुक्त कराने के लिए उन्होंने विवाह के लिए बंधा अपने हाथ का कंगना भी खोल दिय। वह रथ से उतरकर गिरनार पर्वत की ओर चल पड़े। उनकी जीवन संगिनी बनने वाली कुमारी राजुल को जब इस बात का पता चला, तो वह भी दुल्हन का सृंगार उतार कर नेमिकुमार के पीछे-पीछे पर्वत की ओर चल दी।आगे चलकर यही नेमिकुमार जैन मुनि के रूप में विख्यात हुए!
**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**
"श्री रमेश जी"
