भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 781 वी काव्य गोष्ठी वाची रिसोर्ट निकट इंजीनियरिंग कॉलेज गोरखपुर पर आयोजित की गई।
इसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध गीतकार वीरेंद्र मिश्र विरही ने की व संचालन डा.सत्य नारायण पथिक ने किया।
कार्यक्रम का विधिवत शुरुआत मां सरस्वती की आराधना वंदना सूर्यवंशी ने खूबसूरत ढंग से खजड़ी पर संगीतमयी ढंग से प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात कवयित्री बिंदु चौहान ने अपने प्रिय को समर्पित यह गीत पढ़ा -
तू मेरा अभिमान है प्रियतम,
जगती का वरदान है प्रियतम।
अधरों की मुस्कान है तुमसे ,
सुर से सुरभित गान है प्रियतम।।
वरिष्ठ कवि एवं गीतकार राम सुधार सिंह सैथवार ने नौजवानों को सचेत करते हुए यह गीत पढ़ा -
उठ - उठ रे नौजवान,उठ- उठ रे नौजवान,
मंजिल अभी है आगे, पीछे तो बस निशान।
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गीतकार वीरेंद्र मिश्र विरही ने सभी कवियों को शुभकामना देते हुए दिल की बात अपने गीत के माध्यम से इस प्रकार प्रस्तुत किया -
सोच रहा हूं अपने मन में,दिल न होता तो क्या होता,
भीतर से आवाज ये उभरी , विरही बन कोई न रोता।
फिर क्या होता प्रेम का जग में बेचारा यह पलता कैसे,
दिल बोला कि पागल विरही बनकर कोई दिल न खोता।
अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है श्रीमती वंदना सूर्यवंशी,सर्वश्री डा.सुधीर श्रीवास्तव नीरज , अरविंद अकेला,डा.सत्य नारायण पथिक आदि।
सभी के प्रति आभार व्यक्त किया प्रबंधक डा.सत्य नारायण पथिक ने।
