ईश्वरांश।

 

        श्री हनुमान प्रसाद चौबे

ईश्वर की मर्जी के विना पत्ता भी नहीं हिलता हैं। जो ईश्वर चाहते हैं वही ही होता है। यदि सब पूर्व नियोजित ही होता है,हरि इच्छा बलवती।तब हम क्या करते हैं,हम ऊर्जा से कार्य करते हैं। वह ऊर्जा हमारी स्वयं की नहीं बल्कि वह कहीं और से हमें मिलती है वस्तुत जल और जल बिंदु के समान ईश्वर और ईश्वर अंश हम हैं। हम सब ईश्वर के अंश बच्चे हैं।हम बच्चे पिता ईश्वर की ऊर्जा शक्ति सेही कार्य करते हैं क्योंकि हम बच्चों की शक्ति सीमित है और पिता ईश्वर की शक्ति असीमित है। अतः पिता ईश्वर की इच्छा सर्वोपरि होती है।वह जो चाहते हैं वही होता है। अतः जीवन को आनंदमय करने के लिए हमें ईश्वर की मर्जी इच्छा उपासना प्रेम से जान कर उसी तरह जीना होगा।

                                 हनुमान प्रसाद चौबे

                                          विचारक

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