सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीएक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा- गुरुदेव ये 'सफल जीवन' क्या होता है?
गुरु शिष्य को पतंग उड़ाने ले गए।
शिष्य गुरु को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था।
थोड़ी देर बाद शिष्य बोला- गुरुदेव !! ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें? ये और ऊपर चली जाएगी।
गुरु ने धागा तोड़ दिया ..।
पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...।
तब गुरु ने शिष्य को जीवन का दर्शन समझाया - बेटे। 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं। हमें अक्सर लगता कि कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे :-
-घर-
-परिवार-
-अनुशासन-
-माता-पिता-
-गुरू-और-
-समाज-
और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...।
वास्तव में यही वो धागे होते हैं- जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं।
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ। अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..।
धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं..।'
**ओम् श्री आशुतोषाय नमः**
"श्री रमेश जी"
