सोचता हूं

 

पांडव अपने पौत्र परीक्षित को हस्तिनापुर का सम्राट्

बना कर स्वर्गारोहण कर

गये।राजा परीक्षित एक बार दिग्विजय पर निकले। उन्होंने देखा कि एक शूद्र राजा के रुप में डंडे और अपने पैरों से मारते हुए एक बिलखती गाय तथा

कराहते हुए एक पैर वाले 

एक बैल को लिए जा रहा है।धर्मात्मा राजा परीक्षित को बड़ी दया आई और तुरंत रथ से उतरकर डांटते हुए उन्हें रोका। परिचय से पता चला -

शूद्र -अधर्म का मूल

कलियुग।

गाय- पृथ्वी और

बैल- धर्म जिसके तप,शौच,दया और सत्य

चार पैरों में से केवल एक पैर सत्य बचा था।यह जान कर राजा परीक्षित ने अपना राज्य छोड़कर शीघ्र चले जाने के लिए शूद्र कलियुग को कहा।

इस पर कलियुग ने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए कहा --महाभाग!जहां कहीं भी मैं जाता हूं आपको धनुष पर बाण चढा हुए देखता हूं। अतःस्वामिन्!मेरी रक्षा करें।मेरे रहने की जगह बताएं।धर्मात्मा और दयालु राजा ने कलियुग को रहने की जगह बताई- १-द्यूत२-मदिरापान३-स्त्रीसंग४-वैरतथा ५-स्वर्ण।

कृपालु राजा ने धर्म रुप बैल तथा पृथ्वी रुप गाय को निर्भय किया तथा धर्म के तीन पैर जोड़ दिये -

१-तप

२-शौच तथा

३-दया।

-श्रीमद्भागवत१.१७.१-४२

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