**जब साधक स्थिर होकर साधना में बैठता है तो उसकी बहिर्मुखी ऊर्जा अंतर्मुखी ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।**

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

बहुत लोगों के मन में विचार आता है कि साधना करना समय की बर्बादी है। क्यों साधना को हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ? क्या परमात्मा को साधना के द्वारा पाया जा सकता है?

   साधकों! साधना करना समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि साधना में बिताया गया एक एक पल हमारे असीम लक्ष्य यानी परमात्मा तक पहुँचने का एक-एक कदम है। साधना के पहले दिन हम कुछ आगे बढ़ते हैं। उससे अगले दिन थोड़ा और आगे बढ़ते हैं। ऐसा करते करते हम असीम तक पहुंच जाते हैं।अत: प्रतिदिन साधना अत्यंत आवश्यक है।

  साधना में अगर मन, बुद्धि और चित्त एकाग्र नहीं होंगे, तो अध्यात्म का सफर लंबा हो जाता है। इसलिये साधना के समय अपने मन, बुद्धि व चित्त को एक सीध में साध दें। ऐसी सिधाई में, जिसकी मंजिल ईश्वर हो।

    जब हम साधना करनी आरंभ करते हैं तो हम कई बार मायूस हो जाते हैं। हमें लगने लगता है कि हमारी और परमात्मा के बीच की दूरी अनंत है। इस कारण साधना के प्रति हमारा उत्साह और लगन कम होने लगती है। पर साधकों, याद रखिएगा कि हर अंतहीन प्रतीत होने वाली श्रृंखला का एक दिन अंत होता ही है। साधना का एक-एक प्रयास एक छोर पर खड़े हम और  दूसरे छोर पर खड़े परमात्मा की दूरी को निरंतर कम करता रहता है।

   हम मनुष्यों का स्वभाव त्रिगुणात्मक होता है--- तामसिक, राजसिक व सात्विक। जब हम बिना साधना किए संसार में लिप्त रहते हैं, तब हमारी लगभग सारी ऊर्जा बाहर की ओर रहती है। इस कारण हममें तामसिक स्वभाव ज्यादा रहता है। सात्विक गुण न के बराबर होते हैं।

  ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए ध्यान-साधना करना आवश्यक है। साधना ही वह माध्यम है जिससे हम अपनी बाहर दौड़ रही ऊर्जा को अंदर की तरफ मोड़ सकते हैं। जब ऊर्जा को भीतर की ओर लाया जाता है, तो धीरे धीरे तामसिक और राजसिक प्रवृत्ति कम होती जाती है।

  अतः जब साधक स्थिर होकर साधना में बैठता है तो उसकी स्थिर अवस्था इस बात की द्योतक है कि उसकी बहिर्मुखी ऊर्जा अंतर्मुखी ऊर्जा में रूपांतरित हो गई है। वह इस आंतरिक ऊर्जा द्वारा शीघ्रता से परमात्मा की ओर अग्रसर होता है।

    और इस प्रकार साधना से ही सृजनात्मक परिवर्तन आ सकता है।

 **ओम् श्रीआशुतोषाय नमः**

"श्री रमेश जी"

Post a Comment

Previous Post Next Post