यह संसार एक कैदखाना/कारागार/जेल है। जेल में चार तरह के लोग होते हैं--
१-व्यवस्थापक/मालिक-
इसे जेलर कहते हैं।यह
जेल का मालिक/व्यवस्थापक होता है।
२-कर्मचारी-ये जेल मे
काम करते हैं ।
३-कैदी/अपराध सजा
प्राप्त लोग।तथा
४-दर्शक लोग-ये लोग जेल
को देखने अथवा कैदियों से मिलने के लिए जेल में आते हैं।
इसी तरह इस संसार में भी
चार तरह के लोग हैं यथा-
१-व्यवस्थापक/मालिक--
इसे भगवान्/ईश्वर कहते हैं।
२-कर्मचारीगण-सूर्य,चंद्र,
वायु,अग्नि आदि।
३-जीव/पशु/प्राणी --इसमें
हम लोग हैं जो अपने
अच्छे/बुरे कर्म भोग करते हैं। तथा
४-दर्शक गण-इसमें जीवन् मुक्तयोगी, आत्मसंतुष्ट आदि हैं जिन्हें इस संसार से कोई लेना-देना नहीं। वे साक्षी मात्र होते हैं।
५-लेकिन पूर्ण संत से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर मानव इस लोक में अपना कल्याण करता ही है ,और परलोक में भी आनंद की अनुभूति करता है। इसलिए मानव का जन्म आत्म कल्याण के लिए उत्तम माना गया है।
प्रस्तुतकर्ता
डां०हनुमानप्रसादचौबे
गोरखपुर।