सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
संसार का कोई भी क्षेत्र, कोई भी विद्या हो, प्रयोगात्मक विज्ञान ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। एक दर्शक दीर्घा में बैठ, खेल देखकर किसी खिलाड़ी के भीतर उमड़ रहे उत्साह व उमंग का अनुभव नहीं कर सकता। यह आनंद पाने के लिए तो स्वयं उसे मैदान में उतर खेल का अंग बनना पड़ेगा। एक विज्ञान के विद्यार्थी के लिए केवल कुछेक वैज्ञानिक समीकरणों व सिद्धांतों का पठन-पाठन करना पर्याप्त नहीं है। अपितु प्रयोगशाला में जाकर प्रयोगात्मक परीक्षण करना भी उसके लिए उतना ही अनिवार्य है।
जब जीवन के प्रत्येक व्यवहारिक क्षेत्र में सफलता का सूत्र अनुभव जन्य प्रयोगात्मक ज्ञान है, फिर अध्यात्म के क्षेत्र में क्यों नहीं? अध्यात्म तो विज्ञानों का विज्ञान है, सभी विद्याओं का उद्गम स्रोत है। आध्यात्मिक विद्या की पूर्णता भी तभी संभव है जब हम इस देहरूपी प्रयोगशाला में, सतगुरु रूपी प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में परमात्मा का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कर लेंगे।
**ओम् श्रीआशुतोषाय नमः**
"श्री रमेश जी"