सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा वर्षा
पितृपक्ष में पीपल पर जल चढ़ाने और कौवे को भोजन कराने के पीछे गहरा धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है।
१ पीपल पर जल डालना
* धर्मशास्त्रों में महत्व: पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु शिव और ब्रह्मा का प्रतीक माना गया है। स्कंदपुराण और पद्मपुराण में पीपल को त्रिदेव का स्वरूप माना गया है।
* पितरों का निवास: मान्यता है की पीपल में देवताओं और पितरों का वास होता है। इसलिए पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पीपल पर पर जल अर्पित किया जाता है।
* आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक कारण: पीपल प्राण वायु (ऑक्सीजन) का सर्वोत्तम स्रोत है। जो दिन रात कार्बन डाइऑक्साइड लेता है और ऑक्सीजन छोड़ता है। इसे जीवन दाता वृक्ष माना गया है इस पर जल चढ़ाने से वातावरण पवित्र रहता है इसलिए हमारे ऋषियों ने इसे अध्यात्म से जोड़ दिया ताकि नई पीढ़ी इसका पूजा करें और पीपल वृक्ष की प्रजाति हमेशा बचा रहे।
२- कौवे को भोजन करना।
* पितरों का दुत: गरुण पुराण और धर्म शास्त्रों के अनुसार कौवा यमराज का वाहन और पितरों का प्रतिनिधि माना जाता है।
* आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण: जब कौवा पीपल का फल को खाता है तो पीपल का बीज का अंकुरण उसके पेट में ही हो जाता है। कौवा जहां मल त्यागता है वही पीपल का वृक्ष उग जाता है। क्योंकि पिंपल का अंकुरण जमीन में नहीं होता। इसलिए हमारे ऋषियों ने कौवा को भी अध्यात्म से जोड़ दिया। ओम श्री आशुतोषाय नम:
श्री सियाबिहारी