जीव/प्राणी के अच्छे-बुरे योनियों में जन्म के कारण त्रिगुण ही हैं--
१-सतोगुण-देवयोनि।
२-रजोगुण-मनुष्ययोनि।
३- तमोगुण -तिर्यक् योनि।
योनियां दो तरह की होती हैं -१- भोग योनि तथा
२- भोग और कर्म योनि।
मनुष्य योनि तो भोग और कर्म योनि है और शेष योनियां केवल भोग योनियां हैं।
शेष अभुक्त कृत कर्म के तीन परिणाम होते हैं --
१- अच्छे-बुरे योनियों में
जन्म
२-अच्छे-बुरे भोग
३-लघु-दीर्घायु।
भगवान् की महती कृपा से
यह सुदुर्लभ मनुष्य देह मिलता है जो देव-दुर्लभ,
नरक-द्वार,स्वर्ग-द्वार,मोक्ष-
द्वार तथा एक बहुत बड़ा
जंक्शन है जहां से चारों दिशाओं में अनेक गाड़ियां/८४ लाख योनियां जाती/आती हैं।
४- किंतु जो मानव पूर्ण गुरू से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर उनके बताए मार्ग पर चलते है वह निश्चित ही 84 लाख योनियों से मुक्त हो जाते है।
प्रस्तुतकर्ता
डां० हनुमान प्रसाद चौबे
गोरखपुर।