कौन यहां किसका होता है, कौन किसी का दुख ढोता है।

         कवि गोष्ठी में पधारे साहित्यकार जन 

                       एवं श्रोता बंधु

भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर द्वारा आयोजित 797 वी काव्य गोष्ठी वरिष्ठ कवि विनय कुमार मितवा जी के आवास पर सम्पन्न हुई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर.पी.टी.सी.कालेज, निचलौल के पूर्व प्राचार्य- डॉ योगेन्द्र पाल कोहली जी ने एवं अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार श्री जयप्रकाश मल्ल जी ने की ।

कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ गीतकार श्री अरविन्द अकेला जी द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना से हुआ।

तत्पश्चात वरिष्ठ गीतकार श्री राम सुधार सिंह सैथवार जी द्वारा दुनिया के स्वार्थ की बात गीत के माध्यम से प्रस्तुत की गई --

कौन यहां किसका होता है, कौन किसी का दुख ढोता है।

 सबका अपना अपना स्वारथ ,जीवन भर चिपका होता है।।

वरिष्ठ कवि विनय  मितवा ने गरीबों के सपने की बात यूं की -

आंखों के सपने /कब पूरे होंगे /आज भी खड़ा है/ यक्ष प्रश्न???

वरिष्ठ कवि प्रमोद कुमार जी ने कविता का विश्लेषण करते हुए कहा - प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता और जनवादी कविता आदि के बाद कोई भी काव्य आंदोलन नहीं हुए हैं। जबकि आज काव्य आंदोलन की अत्यंत आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर योगेंद्र पाल कोहली ने कहा- यह मंच अध्ययन ,चिंतन- मनन करने की तपस्या में लगे काव्य क्षेत्र के योद्धाओं का है!

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गीतकार जयप्रकाश मल्ल जी ने सभी कवियों को संदेश देते हुए कहा -

हम अनाड़ी जहां के तहां रह गए,

सारी दुनिया कलेवर बदलती रही ।

सबके ओठों पर मुस्कान खिल ना सकी,

कामना मन में यूं ही मचलती रही।।

अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है श्रीमती वंदना सूर्यवंशी एवं सर्वश्री अरविन्द अकेला,राम समुझ सांवरा, डा.सत्य नारायण 'पथिक', राघवेन्द्र मिश्र,अरुण ब्रम्हचारी ,प्रदीप सुविज्ञ आदि।

इस अवसर पर मितवा जी का पूरा परिवार श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहा।

अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया विनय कुमार मितवा जी ने।

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