इन दिनों देश में रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा सभी की जुबां पर है। देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान होने की बात की जा रही है, जिन्हें केंद्र सरकार ने देश के लिए ख़तरा बताया है। बताया जा रहा है कि ये सभी अवैध तरीके से भारत में प्रवेश हुए हैं। लेकिन अब नहीं कर पायेंगे क्योंकि BSF ने एक ऐसा तरीका ढूंढ निकाला है जो अब रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ पर लगाम लगा देगा।
दरअसल, बीएसएफ ने रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल के 22 अति संवेदनशील इलाकों में मुस्तैदी बढ़ा दी है। सेना के जवान यहां लगातार गश्त कर रहे हैं और और इनकी पहचान के लिए स्थानीय भाषा जानकारों तथा खुफिया सूचनाओं की मदद ले रहे हैं। इस बात की जानकारी सेना के ही एक अधिकारी ने दी है।
दरअसल, बीएसएफ ने रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल के 22 अति संवेदनशील इलाकों में मुस्तैदी बढ़ा दी है। सेना के जवान यहां लगातार गश्त कर रहे हैं और और इनकी पहचान के लिए स्थानीय भाषा जानकारों तथा खुफिया सूचनाओं की मदद ले रहे हैं। इस बात की जानकारी सेना के ही एक अधिकारी ने दी है।
सेना के अधिकारी का कहना है कि देश में घुसते हुए यदि रोहिंग्या मुसलमान BSF के जवानों के हत्थे चढ़ जाते हैं तो अधिकतर मामलों में वे खुद को बांग्लादेशी बताते हैं। इससे बचने के लिए बांग्ला भाषा जानने वाले जवानों को पूछताछ में लगाया जाता है।
अधिकारी ने कहा कि यदि अवैध रूप से सीमा पार करते हुए किसी व्यक्ति को पकड़ा जाता है तो जवान उससे पूछताछ करते हैं और यदि रोहिंग्या खुद को बांग्लादेशी बताने का प्रयास भी करते हैं तो अधिकतर मामलों में बांग्ला बोलने के तरीके से वे पकड़े जाते हैं। बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की बोली में थोड़ा सा अंतर है। इसके बाद विस्तृत बातचीत से उनकी पहचान उजागर हो जाती है।’ पश्चिम बंगाल के जिन 22 क्षेत्रों को संवेदनशील बताया गया है, वे उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद और कृष्णानगर जिलों में फैले हुए हैं।
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