गोरखपुर में एम्स स्थापित किये जाने के लिए दाखिल की गई जनहित याचिका पर एतिहासिक फैसला



कृष्णात मणि त्रिपाठी ने अपने सामजिक कृत्यों का लहराया परचम

श्री कृष्णात मणि त्रिपाठी द्वारा गोरखपुर में एम्स स्थापित किये जाने के लिए दाखिल की गई जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय खंड पीठ लखनऊ के न्यामूर्ति चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले और न्यायमूर्ति जस्टिस विवेक चतुर्वेदी द्वरा दिए गए फैसले से गोरखपुर में हर्ष का माहौल है | इसके लिए माननीय न्यायालय का हार्दिक अभिनन्दन है और सामाजिक सरोकारों के हितों के प्रति सचेष्ठ रहने वाले युवा अधिवक्ता  कृष्णात मणि त्रिपाठी को हार्दिक बधाई है |
सनद रहे इस फैसले से जहां गन्ना किसानों के हितो का संरक्षण मिला है वहीं गन्ना शोध संस्थान के परिसर में खड़े वृक्षों को न काटे जाने तथा आवस्यक्तानुसार उनको निर्मित होने वाले एम्स परिसर में ही ट्रांसफिट किये जाने के आदेश से पर्यावरण संरक्षण का भी सन्देश कविले तारीफ है इस प्रकार कृष्णात मणि त्रिपाठी ने किसान एवं पर्यावरण मित्र की भूमिका निभाई है |सूबे की सरकार नें भी मा0 न्यायालय को भरोसा दे कर अपनी सकारत्मक भूमिका निभा कर प्रसंसनीय कार्य किया है |






उल्लेखनीय है कि गोरखपुर पूर्वांचल का प्रमुख केंद्र है जहाँ जापानी बुखार सहित तमाम तरह के संक्रामक रोगों के इलाज के लिए पूर्वाचल ही नहीं प्रदेश से सटे विहार प्रान्त से भी बड़ी तादात में रोगी इलाज कराने आते है किन्तु उन्नत शोध और तत्सम्बन्धी उन्नत इलाज हेतु उच्च संसथान उपलब्ध न होने के कारण भरी तादात में बच्चों की मौत प्रति वर्ष हो जाती है|इसी कारण से गोरखपुर में एम्स की स्थापना के लिए बहुत अरसे से मांग की जा रही थी | इसके लिए तत्कालीन सांसद और वर्तमान में सूबे के यशस्वी मुख्य मंत्री जी ने भी जोरदार आंदोलन चलाया था | इसके साथ ही साथ नई उमीद संस्था  के महा सचिव  मार्कंडेय मणि त्रिपाठीने तथा भारतीय किसान यूनियन के नेता राम किसुन ने सयुक्त रूप से कई संस्थाओं के साथ मिल कर गोरखपुर से फ़ैज़वाद तक पैदल मार्च किया था |

1 Comments

  1. सन्घर्स से ही कुछ मिलता है। मेहनत रंग लाई।साथियों को शुभ कामनाएँ।
    Shivshankar Jaiswal AAP

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