पत्रिका ' सरस्वती ' को मिला पुनर्जीवन


 हिन्दी जगत के लिए एक अच्छी ख़बर है । द्विवेदीयुगीन हिन्दी की लब्धप्रतिष्ठ पत्रिका ' सरस्वती ' को पुनर्जीवन मिला है । जनवरी 1900 में इसका प्रकाशन प्रारम्भ हुआ था । अनेक उतार चढ़ाव के बाद आर्थिक कारणों से इसे वर्ष 1980 में बंद कर देना पड़ा । अब तक़रीबन 37 वर्षों के बाद एक बार फ़िर इंडियन प्रेस ने ही इसके पुनर्प्रकाशन का संकल्प लिया है साथ ही इसके सम्पादन की ज़िम्मेदारी जानेमाने मनीषी पंडित विद्यानिवास मिश्र के दामाद और केंद्रीय हिन्दी संस्थान के प्रोफेसर देवेंद्र शुक्ल को दी गई है । एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के शिक्षक अनुपम परिहार पत्रिका के सह सम्पादक होंगे । 

यह खबर साहित्यकार आर्य हरीश कौशलपुरी नें दी

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