विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन (म.प्र.) द्वारा समय पर परीक्षायें आयोजित नहीं करने और समय पर
परीक्षा परिणाम घोषित करने में असफलता के कारण और समय पर अंक सूचियों को नहीं
प्रदान करने के कारण , विजय सिंह यादव LL.B. के आधार पर शासकीय सेवा में
नियुक्ति हेतु अनेकों आवेदन के अवसरों से वंचित हो गया है ।
इस
कारण विजय सिंह यादव , 40, लक्ष्मी
नगर, रत्नेश्वर रोड़ , रतलाम (म.प्र.), मो.-
9827-007-283 ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी), नई
दिल्ली -110 023 के समक्ष Consumer
Protection Act, 1986, The Consumer Protection (AMENDMENT) Act, 2002 के
अधीन Harassment Portion Of Compensation अंतर्गत
के विरुद्ध
1. श्रीमती
सुषमा सैयाम, उप रजिस्ट्रार (परीक्षा / गोपनीय)
2. श्री
अशफाक हुसैन, सहायक रजिस्ट्रार (परीक्षा)
3. विक्रम
विश्वविद्यालय उज्जैन मध्य प्रदेश एवं सम्बंधित विभागीय कर्मचारी
पता : यूनिवर्सिटी रोड, माधव भवन,नियर
विक्रम वाटिका,उज्जैन (म.प्र.) 456010 के विरुद्ध
न्यूनतम
क्षति पूर्ति की राशि Rs 100,00 crore हेतु
निवेदन किया है
इनका तर्क है की
1. शिक्षा
का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवता के हित में शिक्षित करना है न की उन्हें
नियमों के भवंरजाल में फंसा कर प्रताड़ित करना हैं ।
2. जिस
देश में विश्वविद्यालयों की अन्तरात्मा मृतप्राय हो जाती है और उनकी नैतिकता में
जंग लग जाता हैं समझ लीजिये की उस देश का भविष्य बाँझ हो जायेगा । विद्यार्थी जीवन
मुकदमा लड़ने के लिये नहीं होता है ।
विजय सिंह यादव का कहना है कि
यद्यपि
मुझे 10,000 करोड़ रुपये न्यूनतम क्षति पूर्ति
की राशि के बतौर प्राप्त हो जाते है तो मैं अपनी आवश्यकता अनुसार राशि को छोड़कर
शेष राशि को मानवता के कल्याण में लगा दूँगा ।
यह
प्रकरण विश्वविद्यालयों के लिए एक सबक होकर प्रत्येक पीड़ित विद्यार्थी के लिए
महत्वपूर्ण है क्योंकि अनेकों विश्वविद्यालयों द्वारा जानबूझकर धोखाधड़ी करते हुये
छात्र-छात्राओं के जीवन को निर्दयता पूर्वक बर्बाद किया जा रहा
जबकि विद्वानों युवाओं को देश का भविष्य बताया है निःसंदेह इसे देश के भविष्य के
साथ खिलवाड़ मानकर देश द्रोह के समकक्ष अपराध मानना चाहिये ।
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