देश एकता बनीं रहे,ऐसी सौगंध निभाएं।

 

               मंचासीन साहित्यकार बंधु

भागीरथी सांस्कृतिक मंच , गोरखपुर मंच की 759 वी काव्य गोष्ठी टाउन हॉल गांधी प्रतिमा स्थल पर सम्पन्न हुई। जिसके मुख्य अतिथि डॉ.सम्पूर्णानन्द मल्ल रहें व अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अरुण श्रीवास्तव उर्फ ब्रम्हचारी जीने तथा संचालन डा.सत्यनारायण पथिक ने किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ गांधी जी एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मूर्ति पर सभी के द्वारा माल्यार्पण से हुआ। तत्पश्चात राम समुझ सांवरा जी के देशगान से कविगोष्ठी का शुभारंभ हुआ , जिनकी पंक्तियां हैं -

नमन करें हम मातृभूमि को,इनको शीश झुकाएं ,

देश एकता बनीं रहे,ऐसी सौगंध निभाएं।

युवा कवि निखिल पाण्डेय ने स्वच्छांजलि कार्यक्रम पर कटाक्ष करते हुए रचना पढ़ी -

इन कैमरे की जद में हंसता है एक बच्चा ,

कचरे के ढेर से जो रोटी निकालता है।

वरिष्ठ शायर डा.बहार गोरखपुरी ने गांधी जी के लाठी की बात कुछ यूं की -

गांधी जी ने हक की लाठी भी थमा दी हाथ में ,

फिर भी राहें रास्ते पर अब रहनुमा कोई नहीं।

मुख्य अतिथि डॉ सम्पूर्णानंद मल्ल जी ने अपने सम्बोधन में कहा - जब तक हवा रहेगी, रोशनी रहेगी, गांधी दिलों में धड़कते रहेंगे।मैं गांधी की तलाश अब भी कर रहा हूं ,वास्तव में गांधी एक विचार है।

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर अरुण ब्रह्मचारी ने ग़ज़ल पेश करते हुये कहा -

 मैं जुल्म की दीवार गिरा लूं तो हंसूगा,

दीवार मोहब्बत की उठा लूं तो हंसूगा।

अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया, उनके नाम है,सर्व श्री अभय श्रीवास्तव ज्योति,निर्मल कुमार गुप्त निर्मल , कुन्दन कुमार वर्मा पूरब, हरे कृष्ण पाण्डेय , सत्य नारायण पथिक  आदि।

अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया संस्था प्रबंधक डा. सत्य नारायण पथिक ने।

Post a Comment

Previous Post Next Post