*हम सत्य से हमेशा भागते रहते हैं। परमात्मा से दूर और संसार से जुड़े रहते हैं।*

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                                 श्री आर सी सिंह जी 

भौतिक जगत के लगभग सभी मनुष्य अपने जीवन में शीशे यानी दर्पण का उपयोग अपनी शक्ल सूरत देखने में अक्सर करते रहते हैं। लेकिन दर्पण के महान गुण पर हम कभी भी गौर नहीं करते। दर्पण का विशेष गुण है कि दर्पण कभी भी झूठ नहीं बोलता। जो देखता है, वही सबकुछ दिखाता है। इसपर चिंतन करते रहने मात्र से भी हमारे स्वभाव में सकारात्मक परिवर्तन आता है। जो हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने में व परमात्मा से जोड़ने का काम करता है। लेकिन अफसोस की बात कि हम उस सत्य से मुख मोड़ लेते हैं। सत्य का सामना ही नहीं करना चाहते हैं। क्यों? क्योंकि जिस प्रकार कबूतर जब बिल्ली को देखता है तो वह अपनी आंखें बंद कर लेता है। और सोचता है कि अब बिल्ली मुझे नहीं देख रही है। ठीक ऐसी ही स्थिति हमारी भी है। हम सत्य से हमेशा भागते रहते हैं। जो अपना है (परमात्मा), उससे दूर रहते हैं। और जो अपना नहीं है (संसार), उससे जुड़े रहते हैं। है ना विडम्बना? इसपर विचार करना होगा।

*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*

"श्री रमेश जी"

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