सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीएक बार श्री रामकृष्ण परमहंस जी अपने शिष्यों के प्रश्नों का समाधान कर रहे थे। उनमे से एक शिष्य ने प्रश्न किया कि- हे गुरुदेव, मुझे लगता है कि जीवन बहुत कठिन है। जहाँ देखो पहाड़ जैसी मुश्किलें ही मुश्किलें हैं। ऐसे में हम कैसे खुश रह सकते हैं।
तब गुरुदेव कहते है कि- मै एक दिन बगीचे में टहल रहा था। तभी मैंने देखा कि एक नन्ही चींटी बालू के ढेर पर चढ़ने का प्रयास कर रही थी। और अवश्य ही उस चींटी को लग रहा था कि वह जैसे हिमालय पर्वत की चढाई कर रही हो। लेकिन मेरी दृष्टि में तो वह बालू के ढेरी पर ही चढ़ रही थी। ऐसे ही जब कभी भी हमारे जीवन में मुश्किलें आती है तो उस ईश्वर के अनुसार तो वह बालू के ढेर जैसे ही है परन्तु हमें वह बालू की ढेरी भी पर्वत के समान प्रतीत होती है। परन्तु यदि हम ईश्वर के साथ चलें तो ये मुश्किलें भी हम सहज ही पार कर लेंगे।
अत: साधको यही स्थिति हमारी भी है, हम भी जीवन की मुश्किलों से निराश हो जाते हैं। परन्तु यदि हम अपनी चिंता में प्रभु का चिन्तन जोड़ लें तो सहज ही इन मुश्किलों को पार कर सकते हैं। केवल प्रभु के चिन्तन द्वारा ही हमारी चिंताओं का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। उस हेतु हम सभी को ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर निरंतर ध्यान-साधना करना होगा। साधना की गहराईयों में उतर कर ही हम यह अनुभव कर पायेंगे कि हमारा जीवन कितना सरल है।
*ओम् श्री आशुतोषाय नम :*
"श्री रमेश जी"