सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीआप एक पंछी को कहीं भी ले जाकर छोड़ दें। वह अपने घर वापिस पहुँच ही जाएगा। वैज्ञानिकों ने सोचा, जरूर ये पक्षी चुम्बकीय क्षेत्रों (magnetic fields), ध्रुवीकृत प्रकाश (polarised light), प्रतिध्वनि, इन्फ्रा साउंड इत्यादि की मदद से ऐसा कर पाते होंगे। इनमें फिट प्राकृतिक सेन्सर पर आधारित इंजीनियरिंग से काम करते होंगे।
परन्तु भगवान की इंजीनियरिंग ने इंसान की सोच को मानो क्लीन बोल्ड कर डाला।वैज्ञानिकों ने जितने भी विकल्प ढूंढ़े थे, पक्षियों के ऐसा कर पाने के पीछे, वे सभी गलत साबित हो गए। इसके बाद तो वैज्ञानिकों के दिमाग के परखच्चे उड़ गए। वे सिर खुजाते रह गए, लेकिन इस पहेली को बूझ नहीं पाए।
यदि आप एक ब्रह्मज्ञानी साधक नहीं हैं, तो मुमकिन है कि आपने भी आश्चर्य प्रकट किया हो।लेकिन जिसे पूर्ण गुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान प्राप्त है, उसे हैरत नहीं होती।उसका तो यह निजी अनुभव है कि अपने असली घर में बिना किसी बाहरी साधन के पहुंचा जा सकता है। असली घर मतलब परमात्मा का निवास स्थान जो हमारे घट के भीतर है। ब्रह्मज्ञान में दीक्षित एक साधक जानता है कि वहाँ पहुँचने के लिए, उसे न तो आँखों की जरूरत होती है, न कानों की, न ही किसी अन्य इन्द्रिय की। वहाँ से संपर्क इन बाहरी संसाधनों के माध्यम से नहीं किया जाता। उसके लिए तो शाश्वत नाम के साथ तारतम्य बिठाना पड़ता है, जिसकी युक्ति पूर्ण गुरुदेव की कृपा से प्राप्त होती है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में बिल्कुल साफ साफ लिखा है-- "केवल उस हुकुम (आदिनाम) को पहचान कर ही अपने ईश्वर से मिला जा सकता है। अपने वास्तविक घर पहुंचा जा सकता है।
*ओम् श्री आशुतोषाय नमः*
" श्री रमेश जी "
