*कभी पेशाब रुक जाए तो क्या करें*

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                     श्री आर सी सिंह जी 

एक सुबह एक एलोपैथी डाक्टर अचानक उठे।  उन्हें मुत्रत्याग करने की जरूरत थी, लेकिन वे कर नहीं सके  (कुछ लोगों को बाद की उम्र में कभी-कभी यह समस्या होती है)।  उन्होंने बार-बार कोशिश की, लेकिन लगातार कोशिश नाकाम रही। तब उन्होंने महसूस किया कि एक समस्या खड़ी हो गयी है।

एक डॉक्टर होने के नाते, वे ऐसी शारीरिक समस्याओं से अछूते नहीं थे; उनका निचला पेट भारी हो गया।  बैठना या खड़े़ रहना दुस्वार होने लगा, तल-पेट में दबाव बढ़ने लगा ।

तब उन्होंने एक जाने-माने यूरोलॉजिस्ट को फोन पर बुलाया और स्थिति के बारे में बताया।  मूत्र-रोग विशेषज्ञ ने उत्तर दिया:  "मैं इस समय एक बाहरी क्षेत्र के अस्पताल में हूँ, और आपके क्षेत्र के क्लिनिक में दो घंटे में पहुँच पाऊँगा।  क्या आप इतने लंबे समय तक इसका सामना कर सकते हैं?"

उन्होंने उत्तर दिया:  "मैं कोशिश करूँगा।"

उसी समय, उन्हें बचपन की एक अन्य एलोपैथिक महिला डॉक्टर का ध्यान आया। बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी दोस्त डाक्टर को स्थिति के बारे में बताया।

उस सहेली ने उत्तर दिया:-  "ओह, आपका मूत्राशय भर गया है। और कोशिश करने पर भी आप मुत्रत्याग कर नहीं पा रहे... चिंता न करें। जैसा मैं बता रही हूं, वैसा ही करें। आप इस समस्या से छुटकारा पा जाएंगे।" 

और उसने निर्देश दिया:- 

"सीधे खड़े हो जाइये, और जोर से बार-बार कूदिये। कूदते समय दोनों हाथों को ऊपर यूॅं उठाए रखें, मानो आप किसी पेड़ से आम तोड़ रहे हों। ऐसा 10 से 15 बार करें।"

बूढ़े डॉक्टर ने सोचा: "क्या सचमुच मैं इस स्थिति में कूद पाऊंगा? इलाज थोड़ा संदिग्ध लग रहा था। फिर भी डॉक्टर ने कोशिश की... 3 से 4 बार छलांग लगाने पर ही उन्हें पेशाब की तलब लगी और उन्हें राहत मिल गयी।  

 उन्होंने इतनी सरल विधि से समस्या को हल करने के लिए अपनी मित्र डॉक्टर को सहर्ष धन्यवाद दिया। अन्यथा, उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता। मूत्राशय की जाॅंच, इंजेक्शन, एंटीबायोटिक्स आदि के साथ साथ कैथेटर डालना होता... उनके और करीबी लोगों के लिए मानसिक तनाव के साथ लाखों का बिल भी होता।

    इस असहनीय अनुभव वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक बहुत ही सरल उपाय है। 

*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*

"श्री रमेश जी"

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