सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीअर्जुन अवसर मिलते ही भगवान श्री कृष्ण के पास अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने पहुंच जाते थे। एक दिन उन्होंने पूछा हे कृष्ण, यह मन बड़ा चंचल है। मनुष्य को भटकाता रहता है। इसे वश में करने का क्या उपाय है। श्री कृष्ण ने कहा, अर्जुन निस्संदेह मन बड़ा चंचल है, पंरतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है। सतत अभ्यास करने वाला, लोभ, मोह और ममता से पूरी तरह विरत हो जाने वाला व्यक्ति निश्चय ही मन को वश में कर सकता है।
आध्यात्मिक विभूति आनंदमयी मां कहा करती थी, मन को वश में करने का उपाय यह है कि हम शरीर और संसार की जगह आत्मा को जानने का प्रयास करें। मन को पवित्र और उत्कृष्ट विचारों के चिंतन में लगाए रखें।इसके लिए नेत्रों, कानों और जिह्वा पर संयम आवश्यक है। न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न बुरा उच्चारित करें। कुछ समय एकांतवास करने, मौन रखने तथा सद्साहित्य का पठन-पाठन करने से मन संयमित होता है।
महात्मा आनंद स्वामी सरस्वती तो यह भी कहा करते थे कि मन उसी का पवित्र रह सकता है, जो पवित्र वातावरण में रहता है। इतना ही नहीं, जो व्यक्ति ईमानदारी और परिश्रम से अर्जित धन से प्राप्त किया गया सात्विक भोजन करता है, वही मन को वश में रखने में समर्थ हो सकता है!
*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*
"श्री रमेश जी"
