*दुनिया के 7 आश्चर्य*

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
                      श्री आर सी सिंह जी 
गाँव से आई छुटकी नाम की लड़की का आज शहर के बड़े स्कूल में पहला दिन था ।
"साइलेंस।" टीचर बोली, " चुप हो जाइए आप सब."
"ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।"
उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया।
"चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से "दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।" टीचर ने निर्देश दिया।
सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी।
जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, "क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।"
"जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं.इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं..", छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली।
टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे.
1 ताजमहल
2 चीचेन इट्ज़ा
3 क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा
4 कोलोसियम
5 चीन की विशाल दीवार
6 माचू पिच्चू
7 पेत्रा
टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे। अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया..
दुनिया के 7 आश्चर्य हैं:
1 देख पाना
2 सुन पाना
3 किसी चीज को महसूस कर पाना
4 हँस पाना
5 प्रेम कर पाना
6 सोच पाना
7 दया कर पाना
छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया।
टीचर भी आवाक खड़ी थी..
आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभास करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था। 
 दोस्तो, सचमुच , गहराई से सोचा जाए तो ईश्वर ने हम सबको इतना आश्चर्य करने जैसा स्वस्थ शरीर दिया है, जिसकी हम वैल्यू ही नही समझते है, और भौतिकवाद के निर्माणों को हम दुनिया के आश्चर्य कहते है ?
हमारी ये देखने.सुनने.सोचने.समझने. जैसी शक्तियां किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं, ऐसे में ये सोच कर दुखी होने  के बजाये कि हमारे पास क्या नहीं है हमें ईश्वर के दिए इन अनमोल तोहफों के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए और जीवन की छोटी-छोटी बातों में छिपी खुशियों को मिस नहीं करना चाहिए। 
*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*
"श्री रमेश जी"

Post a Comment

Previous Post Next Post