अच्छे दिन की ये सुखद तस्वीर है। रक्त रंजित अब नहीं कश्मीर है।।

 भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 771 वी काव्य गोष्ठी अभियान ग्रुप आफ थिएटर के तत्वाधान में शाही मार्केट में संपन्न हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि बागीश्वरी प्रसाद मिश्र बागीश जी ने व संचालन कवि डा. सत्य नारायण पथिक ने किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ वरिष्ठ कवि चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन जी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ।

तत्पश्चात निरंकार शुक्ल साकार ने भारत की बदलती हुई तस्वीर पेश करते हुए कहा --

अच्छे दिन की ये सुखद तस्वीर है।

 रक्त रंजित अब नहीं कश्मीर है।।

वरिष्ठ कवि अरविंद अकेला ने भगवान राम की बात इस प्रकार प्रस्तुत की -

केवट राम बिना नहीं भावत, पार उतारतआगम जानी ।

लाखन दोष भरोस बा मन के, जानत बात सिया मुसकानी।।

वरिष्ठ कवि भोजपुरी संगम के संयोजक कवि कुमार अभिनीत ने देश पर शहीद जवान की चिंता को इस प्रकार व्यक्त किया -

सुन परल सगरी सिवान , जवान घरे आइल नाहीं ।

रहि गइल बाकी निसान, जवान घरे आइल नाहीं।।

 अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि वागीश्वरी प्रसाद मिश्र वागीश ने सभी के प्रति शुभकामना व्यक्त करते हुए चैत मास की विवशता को व्यक्त किया ---

खट लागे अमवा  टिकोरा, आगि लागे महुआ के कोचा।

सगरो तपत जरि जाइत,सनेसवा चइते बरिस जाइत।।

अन्य जिन  कवियों ने काव्य पाठ किये उनके नाम है ,सर्वश्री सुरेंद्र मोड़, नीलकमल गुप्त विक्षिप्त, राम समुझ सांवरा, डा. सत्य नारायण पथिक, चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन, अवधेश शर्मा नंद, कौसर गोरखपुरी व उमेश त्रिपाठी आदि।

सभी के प्रति आभार व्यक्त किया डा. सत्य नारायण पथिक ने।

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