धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की एक टीमने कुशल उपचार किया बल्कि सकुशल एक नहीं दो नहीं तीन तीन बच्चों को जन्म दिलाया।

 

ऊपर डॉ सुधीर गुप्ता टीम सदस्यों के साथ प्रेस वार्ता करते हुए और नीचे तीनों नवजात शिशु

  धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की एक टीम ने गर्भधारण न कर पा रही एक महिला का न सिर्फ कुशल उपचार किया बल्कि सकुशल एक नहीं दो नहीं तीन तीन बच्चों को जन्म दिलाया।

 जी हां हम बात कर रहे हैं गोरखपुर स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल ग्रीनलैंड की। वहीं पर पूर्वांचल के प्रसिद्ध बीआरडी मेडिकल कॉलेज पूर्व प्रोफ़ेसर गायनो सर्जन डॉक्टर सुधीर गुप्ता की टीम ने ऑपरेशन से तीन बच्चों को पैदा किए ।

बिहार के गोपालगंज जिला निवासी शशांक शेखर और डाली का विवाह 2022 में हुआ था, पति पत्नी बच्चा चाहते थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पा रहा था। कुशल डॉक्टर की तलाश में दोनों डॉक्टर सुधीर गुप्ता के संपर्क में आए। डॉ सुधीर गुप्ता के द्वारा उपचार शुरू किया गया और फिर लगभग 30 सप्ताह बाद एक साथ तीन तीन बच्चों की पैदाइश एक ही दिन कुछ कुछ मिनट के अंतराल पर हुई। जो पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।इस समय सभी बच्चे जिसमें दो लड़का और एक लड़की पूरी तरह से स्वस्थ हैं।  डॉक्टरों की टीम ने बताया कि इनमें सबसे बाद की पैदाइश बच्ची की है जिसको थोड़ी प्रॉब्लम थी और उसे कुछ दिन वेंटीलेटर पर रखना पड़ा था। इस समय जच्चा बच्चा सभी स्वस्थ और खुश हैं खास तौर पर बच्चों के पिता शशांक शेखर तो इतने खुश हैं कि मानो ईश्वर ने उन पर संसार का सब खजाना ही लुटा दिया हो।

बच्चों की माता से जब यह पूछा गया की ,तीन-तीन बच्चों को कैसे संभालेंगी ? तो बड़े ही संयमित रूप से उन्होंने जवाब दिया की हमारा परिवार संयुक्त परिवार है, बहन और ननद के सहयोग से तीनों बच्चे बड़े आराम से पल जाएंगे। गायनो सर्जन डॉ सुधीर गुप्ता ने बताया कि इस समय सब कुछ ठीक-ठाक है, कठिन परिस्थितियों में अस्पताल की पूरी टीम ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर इस चमत्कारिक सकारात्मक घटना को मूर्तिवत रूप दिया है। यह हम सभी के लिऐ गर्व करने वाला क्षण था। मरीज के चेहरे की खुशी ही हमारी वास्त्विक संतुष्टि और सुख होता है।

ग्रीनलैंड हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर प्रा ० लि ० मेडिकल कॉलेज रोड ,मोगलहा गोरखपुर के जनरल सर्जन डॉक्टर डी.के गुप्ता ने बताया ऐसे तकरीबन दो दर्जन डिलीवरी इस अस्पताल से हो चुकी है अब तक, इसलिए यह केस हम लोगों के लिऐ नया नहीं था, हां लेकिन ऐसे केशो में बहुत सावधानी, नियंत्रण और देखभाल की जरुरत पड़ती है, जिसमे मरीज का भावनात्मक रूप से सहयोग नितांत आवश्यक होता है। अस्पताल की पूर्ण रूप से प्रशिक्षित टीम सदैव अपने मरीजों के हित के लिऐ हर प्रकार से तत्पर रहती है।

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