सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीसमाधि में जाने से कुछ दिन पहले प्रात काल सैर करते समय एक बार महाराज जी अचानक रुके और बगल के स्वामी जी को बोले - "जानते हो! एक समय आएगा जब लोग यहां (दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में) इतना पैसा लायेंगे, इतना पैसा लायेंगे बोरियो में भर भर कर ... कि तुम लोग रख नही पाओगे यहां ?"
स्वामी भैया पूछे - "तो महाराज जी फिर कहां रखेंगे उतना धन?"
महाराज जी उद्घोष किए -"हम वो सारा धन अपने शिष्यों में बांट देंगे। हमारा कोई भी शिष्य गरीब नही रहेगा।"
एक स्वामी जी देश के विषय में सोच कर बोले -"महाराज जी! देश पर कर्ज बहुत है और भारत वासी भी गरीब हैं बहुत सारे। उनका क्या बनेगा फिर ??"
परम पूज्य महाराज जी बोले -"महाभारत युद्ध के समय धरती के सभी प्रांतों के राजा उस समय अपना धन बल, खजाना, कोष लेकर कुरुक्षेत्र के आस पास अपने शिविर बनाकर रह रहे थे और युद्ध में भाग ले रहे थे इस लालसा से की युद्ध जीतने पर पूरी पृथ्वी पर उनका ही साम्राज्य होगा। राजा महाराजा लोग को युद्ध के सामान हथियार, घोड़े, हाथी, धनुष, तीर, खरीदने होते थे और वहां कई पशु मालिक, हथियार निर्माता, लोहार, आदि आते थे जिनसे क्रय विक्रय होता था। युद्ध से पहले और वो सारे लेन देन स्वर्ण मुद्रा में होते थे।सो राजा महाराजा अपने साथ अपना बहुत सारा धन कोष, खजाना लेकर युद्ध में आए थे महाभारत में। लेकिन हुआ क्या ??.. सब मारे गए। कोई नहीं बचा सिवाय पांडवों के और उनका खजाना...
वहां के आस पास के जगहों पर दब गया। आगे त्रिलोक ज्ञाता, तीनों कालों के ज्ञाता महाराज जी उद्घोष किए -"समय आने पर वो सारा धन निकालेंगे और समस्त भारतीय जनता को बांट देंगे। भारत में कोई भी गरीब नही रहेगा और भारत फिर से सोने की चिड़िया बन जायेगा। "सोई जानत जिन्ह देहु जनाई, जानही तुम, तुम ही होई जाई" - हे प्रभु! तुम्हें वही जान पाता है, समझ पाता है जिसे तुम स्वयं जना देते हो। अन्यथा असंभव है।"
**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**
"श्री रमेश जी"
