भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 779वी काव्य गोष्ठी भाई बृजेश राय जी के आवास पर संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि वागीश्वरी प्रसाद मिश्र 'वागीश ' जी ने व संचालन युवा कवि कुन्दन वर्मा पूरब ने किया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ भाई बृजेश राय जी की वाणी वंदना से हुआ।
कवयित्री श्रीमती सरिता सिंह ने नारी अस्मिता की बात अपने इस गीत के माध्यम से व्यक्त किया -
समय कह रहा त्रासदी की कहानी,
लगी दांव पर द्रौपदी की जवानी ।
भरी एक सभा में रहे मौन सारे ,
छलनी हुई अस्मिता पानी-पानी ।
भाई बृजेश राय ने पेट के आग की बात यूं कहीं -
हर आग से/ घनी होती है / पेट की आग
जो निगल जाती है / सारे रिश्ते और सम्बंध।
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि वागीश्वरी प्रसाद मिश्र 'वागीश' ने सभी रचनाओं पर टिप्पणियां करते हुए आदर्शों की बात कुछ इस तरह किया -
अर्थहीन आदर्श हुआ जब ,
झुकी कमर पर शीश नहीं।
जलने लगा पेट भी सूखा ,
लेकिन धुआं उठा नहीं।
अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है सर्वश्री मृत्युंजय कुमार नवल ,डा.अविनाश पति त्रिपाठी , राम समुझ सांवरा,कुन्दन वर्मा पूरब, अरविंद अकेला ,और डा.सत्य नारायण पथिक।
सभी के प्रति आभार व्यक्त किया प्रबंधक डा सत्य नारायण पथिक ने।
