कविगोष्ठी संपन्न नगर ग्रामोत्थान प्रतिष्ठान,पुराना गोरखपुर, गोरखपुर के तत्वावधान में साहित्यिक कार्यक्रम के अंतर्गत एक कविगोष्ठी का आयोजन संस्था के प्रधान कार्यालय पर संपन्न हुआ ।
जिसकी अध्यक्षता श्री दानिका प्रसाद विश्वकर्मा ने की और संचालन का कार्य श्री नंदकुमार त्रिपाठी ने बखूबी पूरा किया।
कार्यक्रम का श्रीगणेश डॉ० हनुमान प्रसाद चौबे की सरस्वती वंदना से हुआ ।
-मां, मराल पर सवार,वाग्दान आज कर।
पुस्तक हाथ में धरे,विमल मति प्रदान कर।।
श्री नीलकमल गुप्त ने अपनी रचना यों प्रस्तुत की- परिवार संस्कार,वचार पृथक्।
स्वभाव प्रभाव में अभाव मिथक।।
वरिष्ठ कवि चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा 'अकिंचन'ने 'हिन्दी दिवस'पर अपनी रचना यों पढ़ी -
सुसंस्कृत आर्यभाषाकी यहलिपिदेवनागरी।
ऋषियों द्वारा उद्भूत धरा पर सुप्रचलित।।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए श्री त्रिपाठी ने 'द्रौपदी"पर अपनी मनोहर रचना भोजपुरी में प्रस्तुत कर श्रोतागण को आत्मविभोर कर दिया।
श्री विश्वकर्मा जी ने 'वदली'पर अपनी मनोरम रचना इस प्रकार प्रस्तुत की-
श्रृंगार किये बैठी है बदली।
मिलने को बेताब है बदली।।
अंत में आयोजक संस्था के संयोजक डॉ०चौबे ने सभी सम्मानित कविजन का आभार व्यक्त किया और कार्य क्रम के समाप्ति की घोषणा की।
