सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जी*8- महागौरी*
"श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोद दा।।"
महागौरी माँ का आठवें नवरात्रे में पूजन होता है। इस रूप में माँ का वाहन वृषभ है, जिसका भाव धर्म होता है। माँ इस रूप में हमें समझाती हैं कि हमारे जीवन में धर्म की परमावश्यकता है। धर्म 'धृ' धातु से उद्भुत है, जिसका अर्थ है - धारण करना। उस परमात्मा को, जो हमारे अंत:करण में विराजमान है। इसी धर्म को धारण करने से जीवन में प्रखरता व उज्ज्वलता का साम्राज्य स्थापित हो पाता है। और यही महागौरी का संदेश है।
अतः हमें किसी ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर निरंतर ध्यान साधना व सत्संग करते रहना चाहिए। मानव जीवन एक अवसर है अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का। और हमारा लक्ष्य है ईश्वर को जानना और जानकर उनको पाने के रास्ते पर चलना। अगर हम ऐसा करते हैं तो ठीक है। नहीं तो फिर से 84 लाख के निम्न योनियों में जाने के लिए मजबूर होते हैं।
*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*
'श्री रमेश जी'
