सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीसंत जिब्रान से किसी व्यक्ति ने पूछा, आज दानवता, हिंसा और अनैतिकता का बोलबाला क्यों है? तो जिब्रान जी बोले, ईश्वर ने जब आदमी को इस संसार में भेजा तो उसके दोनों हाथों में एक -एक घड़ा थमा दिया। परमात्मा ने उससे कहा एक घड़े में सत्य भरा है, यदि तुम उसका पालन करते हो तो यह तुम्हारे लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा। दूसरे घड़े में सुख है जो विषय वासना की चाह पैदा करता है। तुम इस संसार में जा रहे हो जहां शैतान (अज्ञान) और माया (अविद्या ) का राज होगा। लेकिन तुम्हें प्राण देकर भी सत्य की रक्षा करनी होगी। तुम्हें सुख की कामना को सीमित रखना होगा और यह मत भूलना कि तुम्हारे दाहिने हाथ में सत्य का घड़ा है और बाएं हाथ में सुख का। इंसान दोनों घड़े लेकर चला। रास्ते में थकने पर वह पेड़ की छाया में बैठ गया, और वहां पर उसे नींद आ गई। शैतान इंसान का पीछा कर रहा था उसने दोनों घड़े का स्थान बदल दिया। इंसान भ्रम में पड़कर सत्य को व्यर्थ समझ लुटाने लगा। देखते ही देखते सत्य -शील का खजाना खाली हो गया। उसके पास सिर्फ सुख सुविधाएं और कामनाएं ही रह गई। इसी कारण आज संसार में दानवता, हिंसा और क्रूरता का बोलबाला है। जो व्यक्ति सत्य -शील का त्याग कर देता है उसमें इंसानियत स्वत: दूर हो जाती है। बुरी आदतों में फंसकर व्यक्ति अपना जीवन कष्टमय बना लेता है, लेकिन जो किसी भी हालात में सत्य और शील को त्यागता नहीं है, वह हमेशा सुखी रहता है। इसलिए सत्य का दामन कभी मत छोड़ो। चाहे तुम्हें सत्य के लिए अकेला ही क्यों ना चलना पड़े। क्योंकि सत्य ही ईश्वर है। जब हम सत्य का रास्ता पकड़ते हैं तो ईश्वर भी हमारे साथ -साथ चलते हैं। वह पग- पग पर हमें दिशा निर्देश देते हैं। आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि सत्य सदा एकाकी चलता है। उसके साथ कोई चल पड़े तो भी वह एकाकी होता है और कोई ना चले तो भी। वहां द्वैत तो है ही नहीं।
**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**
"श्री रमेश जी"
