सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, जिसके संस्थापक एवं संचालक सर्वश्री आशुतोष महाराज जी हैं।
संस्थान आध्यात्मिक विकास एवं उत्थान के लिए प्रयत्नशील है। निराशा का कोई कारण नहीं। मनुष्य स्वभाव है कि जब तक परिणाम दिखाई न दे, तब तक उसे लगता है कि कुछ नहीं हो रहा, कोई लाभ नहीं, सब व्यर्थ है।
यह सोच एवं चिंतन ठीक नहीं है, दिखने योग्य प्रभाव तो समय पर ही दिखाई देगा। हमारे जल्दी से कुछ होने को नहीं। इसीलिए कहा है कि हर चोट का असर होता है, परंतु श्रेय आखिरी चोट को मिलता है। वह आखिरी चोट कब और कौन सी होगी, यह नहीं कहा जा सकता।आखिरी तो आखिरी ही है, वह पहली नही हो सकती।
अतः चलते चलें, चलते चलें__चरैवेति-चरैवेति।
Go on hammering, it is bound to break.
धैर्य के साथ जीवन पर्यन्त कार्य करते रहना वीर पुरुषों का काम है। निराश होकर बीच में छोड़ना कायरता है, दुर्बलता है तथा सच्चाई से मुंह मोड़ना है, जो कि जघन्य पाप है। हमें गुरु महाराज जी के लक्ष्य को लेकर निरंतर आगे बढ़ना है। ध्यान साधना में ज्यादा से ज्यादा समय देना है।सुमिरन निरंतर करते रहना है।
सेवा और समर्पण हमारे आधार हैं जिस पर इस संस्था को नाज है। यह नर से नारायण की यात्रा है। मरते समय एक ही समाधान होगा कि आशु भगवान ने जो काम दिया, वह करके जा रहा हूँ। न कोई शोक है, न दुःख, न कोई चिंता ही।
केवल समाधान है, संतोष है। यही जीवन की सफलता है।
**ओम् श्रीआशुतोषाय नमः**
"श्री रमेश जी"
