**आध्यात्म ही भारत के हृदय का मर्म स्थल है।**

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                   श्री आर सी सिंह जी 

देवताओं का कथन है कि धन्य हैं वे मनुष्य जो भारतवर्ष में पैदा हुए हैं। ग्रंथोद्गारों में भारतवर्ष का हार्दिक स्तुतिगान है। इस आर्यावर्त भूमि को स्वर्ग से भी श्रेष्ठ, साक्षात् बैकुण्ठ की उपमा दी  गई है। मात्र स्वदेशी ग्रंथ ही नहीं, कई निष्पक्ष विदेशियों ने भी इसकी सराहना की है।विचारणीय प्रश्न है कि ऐसा क्योंकर हुआ? आखिर किस वैशिष्ट्य के कारण? प्रत्येक राष्ट्र की एक खास जीवन-पद्धति होती है। यही पद्धति अथवा धुरी उसे उसकी सांस्कृतिक चेतना देती है। उसके कल्चर उसकी आत्मा होती है।उदाहरण स्वरूप प्राचीन मिश्र मृत्यु विषयक और फारस देश शुभाशुभ रहस्यों का केंद्र था। प्राचीन स्पार्टा में शारीरिक सौंदर्यता, तो जापान में राष्ट्र भक्ति का भाव सक्रिय है। इंगलैंड अपनी पार्लियामेंट्री शासन प्रणाली, तो अमेरिका में व्यक्तिगत समानता सर्वोपरि है।किंतु भारत एक ऐसा प्रांत है, जिसका केंद्र भाव पृथक है। अद्वितीय एवं विलक्षण है। यह केंद्र है- अध्यात्म! अध्यात्म ही भारत के हृदय का मर्मस्थल है।

**ओम् श्रीआशुतोषाय नमः**

"श्री रमेश जी"

Post a Comment

Previous Post Next Post