सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीजाने क्या उस दिन आशु बाबा के मन में समाई!उन्होंने एक स्वामी भैया को आदेश दिया खूब सारे रंग बिरंगे गुब्बारे लेकर आओ!आदेश पाते ही स्वामी भैया बाजार गए और एक गुब्बारे वाले को अपने साथ आश्रम ही ले आए! उससे कहा कि भाई, तू यहीं पर बैठ जा और अपने गुब्बारे फुला कर तैयार रखना! ज्यों ही हमारे गुरुवर इच्छा करेंगे, हम तुमसे गुब्बारे ले जाएंगे! गुरुवर के गुब्बारे मांगने पर गुब्बारे वाले के पास जितने फूले हुए गुब्बारे थे, उसने वे स्वामी जी को पकड़ा दिए। अब महाराज जी किसी गुब्बारे पर केले, तो किसी पर टाफियों का पैकेट बांधकर उड़ाने लगे!बाबा खुद बच्चे बनकर और सब को बच्चा बना कर खेल खेले जा रहे थे! गुब्बारे खत्म हुए, तो खेल भी तमाम हो गया! बाबा भीतर चले गए। अब गुब्बारे वाले ने बाकी बचे गुब्बारों को भी फुला कर तैयार कर दिया!सद्गुरु की मौज! वे एक घंटे बाद ही फिर से छज्जे में आ गए! गुब्बारों में बांध -बांध कर प्रसाद बांटने लगे! इस तरह गुरुदेव उस दिन पांच बार संगत के बीच आए और सैकड़ों गुब्बारे उड़ा दिए! जब स्वामी भैया ने उस गुब्बारे वाले को पैसे देने चाहे तो वह भैया फूट-फूटकर रो पड़ा! स्वामी जी ने कहा, न भाई गुरु दरबार से रोते हुए नहीं जाते! तुम्हें पैसे कम लग रहे हैं तो थोड़े ज्यादा ले लो!गुब्बारे वाला बोला- भगवान हैं आपके बाबा!भगवान हैं, भगवान! स्वामी जी बोले सो तो है! पर ब्रह्मज्ञान लिए बिना तुमने यह कैसे जाना! गुब्बारे वाले ने कहा- स्वामी जी तीन दिन से मेरे घर में चूल्हा नहीं जला है! क्योंकि गुब्बारों का धंधा बहुत मंदा जो चल रहा है! पर आज सुबह मैं घर से प्रार्थना करके चला था - हे प्रभु!अगर इस दुनिया में तू है, तो आज इस गरीब के चूल्हे में आंच लगे! नहीं तो मैं कल का सूरज उगने से पहले बीवी बच्चों के साथ आत्महत्या कर लूंगा! सच स्वामी जी सच, भगवान ने मुझे सुबूत दे दिया है कि वो हैं और इसी धरती पर हैं!स्वामी जी कहने लगे कि एक सड़क चलते गैर दीक्षित इंसान की भी दिल की धड़कने तुझे सुनती हैं!कमाल है, मालिक। कमाल है!
**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**
”श्री रमेश "
