वक्त सच्ची किताब होता है, जो पढ़े कामयाब होता है। वक्त गुजरा हुआ नहीं आता , जिंदगी भर हिसाब होता है।

 

         कार्यक्रम में कवि एवं कवियत्री गण 

भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 790वी काव्य गोष्ठी दिव्य विकास मंदिर, पादरी बाजार, गोरखपुर के सभागार में संपन्न हुई।

इस गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ गज़लकार एवं पूर्व राजभाषा अधिकारी इज्जत नगर, रेलवे श्री राजेंद्र कुमार जी ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में डा. के. के. श्रीवास्तव जी उपस्थित रहे। संचालन डा. सत्य नारायण 'पथिक' ने किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ वरिष्ठ भोजपुरी गीतकार अरविंद 'अकेला' के द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की आराधना से हुआ !

युवा कवि प्रशांत श्रीवास्तव ने अपने प्रिय के नाम लिखे प्रेम पत्र का उल्लेख इन शब्दों में की -

अजब सी प्रेम की पाती तुम्हारे नाम लिखता हूं।

तुम्हें मैं प्रीत मीरा की, तुम्हें घनश्याम लिखता हूं।।

तदुपरांत युवा कवयित्री श्रीमती बिंदु चौहान ने प्रेम की बात कुछ इन शब्दों से की -

स्वप्न से बोझिल नयन में प्रेम अंजन कर रहा।

अश्रु के अविरल जलद का फिर प्रबंधन कर रहा।।

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गज़लकार  राजेंद्र कुमार जी ने वक्त को सच्ची किताब बताते हुए  ग़ज़ल पढ़ी, कुछ शेर देखें -

वक्त सच्ची किताब होता है,

जो पढ़े कामयाब होता है।

वक्त गुजरा हुआ नहीं आता ,

जिंदगी भर हिसाब होता है।

मुख्य अतिथि डॉक्टर के. के. श्रीवास्तव ने कवियों को समाज का पथ प्रदर्शक बताते हुए कहा कवि वास्तव में समाज सुधारक होता है जो अपने कलम के माध्यम से समाज को रास्ता दिखाता है।

इस अवसर पर युवा कवि प्रशांत श्रीवास्तव को भागीरथी साहित्य प्राग्ल्भय पुरस्कार स्वरूप एक पुस्तक भेंट की गई।

अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है,सर्वश्री अरुण 'सदाबहार', अरविंद 'अकेला' , अवधेश 'नंद' , निरंकार शुक्ला 'साकार' बद्री प्रसाद विश्वकर्मा 'सांवरिया' , एवं आर.आर. सिन्हा आदि ने।

अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया संस्थापक संस्थाध्यक्ष भाई अरुण 'सदाबहार' ने।

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