जागृति शंख बजायेगें हम ,बदलेगा जमाना। घर-घर अलख जगायेंगे हम, बदलेगा जमाना।।

  

               मंचशीन साहित्यकार जन

भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 793वी काव्य गोष्ठी संस्था सचिव बृजेश राय जी के आवास पर सम्पन्न हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर अरुण ब्रम्हचारी जी ने की व संचालन डा.सत्य नारायण 'पथिक'ने किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ कवयित्री श्रीमती वंदना सूर्यवंशी द्वारा मां सरस्वती की संगीतमय वंदना प्रस्तुत की गई।

तत्पश्चात वरिष्ठ भोजपुरी गीतकार अरविंद 'अकेला'जी ने प्रीति की बात को गीत में यूं उद्धरित किया गया -

हवे पिछुलहरा तनिक विहान‌ होखे दऽ।

तनि पिरितिया के रितीया सेयान होखे द ऽ।।

कवयित्री श्रीमती वंदना सूर्यवंशी ने लोक जागृति की बात गीत के माध्यम से की -

जागृति शंख बजायेगें हम ,बदलेगा जमाना।

घर-घर अलख जगायेंगे हम, बदलेगा जमाना।।

वरिष्ठ गज़लकार महमूद भाई ने प्रिय के इंतजार की बात इस शेर के तहत किया -

तूफ़ान उठ रहा है दिले बेकरार में।

मैं तो तड़प रहा हूं तेरे इंतज़ार में।।

कविगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर अरुण ब्रम्हचारी ने सरकार की नीतियों पर तंज करते हुए कहा -

जिसकी रगों में लहू नहीं सिंदूर बेशुमार हैं।

यह कैसा निग़हबान है,यह कैसा चौकीदार हैं।।

अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है सर्वश्री डॉ.सुधीर श्रीवास्तव 'नीरज', विजय प्रताप शाही, दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल', बृजेश राय, निरंकार शुक्ल 'साकार',डा.सत्य नारायण 'पथिक' राम समुझ 'सांवरा',बद्री विश्वकर्मा'सावरियां', ज्ञानेश 'नापित',कौसर गोरखपुरी, वीरेंद्र मिश्र 'विरही' आदि।

श्रोताओं में श्री शिव कुमार श्रीवास्तव एवं बृजेश राय के परिवारी जन उपस्थित रहे।

वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र शास्त्री एवं वरिष्ठ कवि नील कमल गुप्त विक्षिप्त के निधन पर उपस्थित कवियों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी गई।

अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया संस्था सचिव बृजेश राय ने।

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