सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
*कल (Yesterday)*
चंदन थी इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम था।
हर बाला देवी की प्रतिमा, बच्चा बच्चा राम था,
हर शरीर मंदिर सा पावन, हर मानव उपकारी था,
ऋषियों के वंशज थे सारे, जन जन जहां बलिहारी था,
जहां सवेरा शंख बजाता, लोरी गाता चंदा था,
चंदन थी इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम था।
जहां कर्म से भाग्य बदलते, श्रम निष्ठा कल्याणी थी,
त्याग और तप की गाथाएँ, गाती कवि की वाणी थी,
ज्ञान यहां का गंगाजल सा, निर्मल अविराम था,
जीवन का आदर्श यहां पर, परमेश्वर का धाम था,
चंदन थी इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम था।
*आज (Today)*
लेकिन अब ये बातें हुई पुरानी,अब नही पहले सी कहानी
ईर्ष्या द्वेषकी आंधीके संग बहताहै नफरत का पानी।
काँप रहा है आसमान और काँप रही है ये धरा।
पाप की चरम सीमा, मानवता है जल मरा।
कभी खून की खबर, कभी लूटपाट का है जिकर।
हादसे ही हादसे हैं, अखबार के हर पृष्ठ पर।
कुछ तो सोचो देश को लग गई किसकी नजर।
सोनेकी चिड़िया था भारत,देखो कैसा हुआ हसर।
*कल (Tomorrow)*
ऐ नौजवानो, देश का वो मान वापिस लाना है।
बिगड़े हुए भारत का नक्सा तुम्हे सजाना है।
आर्यों के इस भूमि के तुम ही तो सरताज हो।
तुमसेहै भविष्य युगका, तुम कलहो तुम आज हो।
आओ देश के नौजवानो, मिलकर ये वादा करेंगे।
ब्रह्मज्ञान से देश का,फिरसे हम निर्माण करेंगे।
घृणा भरे समाज मे, हम प्रेम का रंग भरेंगे।
**ओम् श्रीआशुतोषाय नम:**
"श्री रमेश जी"