*मनुष्य के मरते ही जीवन में संग्रहित भौतिक ज्ञान व सभी प्रकार की सम्पत्तियां भी समाप्त हो जाती है।*
श्री आर सी सिंह जी रिटायर्ड एयरफोर्स ऑफिसरवास्तव में सूर्य का प्रकाश नित्य है और पृथ्वी का आकार गोल है, इसीलिये हमें दिन-रात देखने को मिलते हैं। फिर भी सूर्य हर रोज सुबह हमें जगाने के लिए हमारे दरवाजे पर दस्तक देता है, लेकिन अधिकांश लोग अपने दरवाजे-खिड़कियां बंद कर आगे पर्दा कर देते हैं, यानी सूर्य का प्रकाश उनकी नींद में रुकावट न डाले। उसी तरह भगवान भी समय-समय पर हमारे-आपके जीवन में सत्संग रुपी गुरु भेजते रहते हैं, ताकि परमात्मा का तत्व ज्ञान हमारे मन में आ जाए और मिले हुए मनुष्य योनि में हमारा कल्याण हो सके। यानी हम लोग संसारी विषय-भोगों में डूब नहीं जायें। लेकिन अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऐसे ज्ञान को लोग श्रद्धापूर्वक नहीं लेते। इसलिए हमारी दिनचर्या में कोई बदलाव देखने में नहीं आता और हम केवल लाइक व शेयर तक ही सीमित रह जाते हैं।
प्रकृति के सभी जीवों के 3 शरीर होते हैं, जिन्हें स्थूल, सूक्ष्म व कारण शरीर कहा जाता है। स्थूल शरीर के रहते हुए सूक्ष्म और कारण शरीर को जान जाना ही मोक्ष का मार्ग है। अन्यथा स्थूल शरीर के मरते ही सूक्ष्म + कारण शरीर आत्मा व परमात्मा के साथ फिर एक नये स्थूल शरीर में जन्म ले लेता है। मनुष्य के मरते ही जीवन में संग्रहित भौतिक ज्ञान व सभी प्रकार की संपत्तियां भी समाप्त हो जाती है। लेकिन सूक्ष्म शरीर द्वारा लिया गया आध्यात्मिक ज्ञान व कारण शरीर में बन चुके शुभ/अशुभ संस्कार मरने के बाद भी सुरक्षित बने रहते हैं। इसलिए कुसंग से सदा बचें और सत्संग में ही रहें। मनुष्य योनि पाकर शुभ संस्कार अर्जित करना ही हमारी असली कमाई है। फिर भी सामान्य मनुष्य सत्संग करने से अक्सर बचता फिरता है। इस पर सदा चिंतन करते रहना चाहिए।
*ओम् श्री आशुतोषाय नम*
RC Singh.7897659218

बहुत ही ज्ञानवर्धक तथ्य है।
ReplyDeleteअति सुन्दर विचार...👏🏻👏🏻🙏🏻
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