एक पूर्ण गुरु ही सच्चे मित्र हो सकते हैं।

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                               श्री आर सी सिंह जी 

भगवान बुद्ध से उनके एक शिष्य ने पूछा -  भन्ते कैसे व्यक्ति की संगति करनी चाहिए? कौन हमारा सच्चा मित्र है? 

तथागत -  ऐसे मित्र की संगति करनी चाहिए जिसमें ये सभी गुण हों-  जो वस्तु कठिनाई से दी जा सकती है, वह उसे भी तुम्हें देता है, जो कार्य कठिनाई से किया जा सकता है, वह उसे भी तुम्हारे लिये करता है, जो असहनीय कठोर वचन होते हैं, उन्हें भी तुम्हारे हित के लिए सहन करता है, जो उसका रहस्य होता है, उसे भी तुम्हारे सामने प्रकट कर देता है   अर्थात् तुमसे कुछ भी गोपनीय नहीं रखता, जो तुम्हारा रहस्य है, उसे सबसे छिपा कर रखता है, जो आपत्ति पड़ने पर तुम्हारा साथ नहीं छोड़ता तथा तुम्हारे निर्धन हो जाने पर भी तुम्हारी अवहेलना नहीं करता! जो प्रिय हो, जो गौरव का पात्र हो, जो पूजनीय हो, जो वक्ता हो, जो गंभीर बात करने वाला हो तथा जो कभी अनुचित मार्ग न दिखाने वाला हो।   जिस व्यक्ति में ये सभी गुण हों, ऐसा हितचिन्तक ही मित्र बनाने योग्य है!  वही सच्चा मित्र है!  उसकी ही सदैव संगति करनी चाहिए, भले ही वह तुम्हें उपेक्षित क्यों न करे!

शिष्य -  भन्ते, इतने सारे गुण भला एक व्यक्ति में कैसे मिल सकते हैं?  ये तो केवल आपमें ही विधमान हो सकते हैं। 

महाबुद्ध-  फिर, हमें ही अपना मित्र जानो!  एक पूर्ण सदगुरु ही आपके सच्चे मित्र हो सकते हैं! वे आपको वह अमूल्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) देते हैं, जो बहुत कठिनाई से दी जाने वाली वस्तु है!  वे आपके जन्म -मरण के बंधनों को क्षय करने का कार्य करते हैं,  जो बहुत दुष्कर है!  वे आपके हित के लिये कठोर वचन भी सहन करते हैं। जो उनका सबसे बड़ा गोपनीय रहस्य है -  आत्म दर्शन का वह आपके समक्ष प्रकट करते हैं। सदगुरु हर स्थिति में आपके साथ रहते हैं, चाहे वह स्थिति कितनी ही कठिन और संघर्षपूर्ण क्यों न हो! वे तो लोक और परलोक दोनों में आपके साथ रहते हैं! वहीं हैं, जो आपके प्रिय हो सकते हैं। एक सदगुरु से बड़ा हितेषी, सच्चा मित्र कोई नहीं हो सकता! इसलिए आपको सदा मन-बुद्धि चित्त से उन्हीं का संग करना चाहिए।

*ओम् श्री आशुतोषाय नम :

रमेश चन्द्र सिंह 7897659218

*ओम् श्री आशुतोषाय नमः*

रमेश चन्द्र सिंह 7897659218.

Post a Comment

Previous Post Next Post