*समय ही नही मिलता*

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                     श्री आर सी सिंह जी 

एक बार एक व्यक्ति एक संन्यासी के आश्रम गया। साधु ने उसको पूछा कि मोहननाथ जी अपने व्यवसाय के अलावा, ईश्वर में ध्यान लगाते हो, कुछ दान धर्म करने जाते हो, नामजप आदि करते हो या नहीं ?

मोहननाथ जी ने कहा, बाबाजी बस एक बार अपने परिवार एवं व्यवसाय एवं दुनियादारी के काम पूरे हो जाए, एवं समय मिल जाए तो प्रभु के ध्यान में लग जाऊंगा।

सन्यासी जी अपने स्नान के लिए नदी के पास जा रहे थे, मोहननाथ जी को भी साथ ले लिया ।

अब दोनो जा कर, नदी के किनारे बैठ गए, जब 3 घंटे बीत गए, तो मोहननाथ ने पूछा, बाबाजी हम कुछ कर नही रहे, नदी पार भी नही कर रहे, फिर यहां क्यू बैठे हैं।?

सन्यासी ने कहा इंतजार कर रहा हूं कि पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूं। मोहननाथ सेठ ने कहा कैसी बात करते हो बाबा, पूरा जल बहने के इंतजार में तो आप कभी नदी पार ही नहीं कर पाओगे।

सन्यासी ने कहा यही तो मै तुम लोगो को समझाता रहता हूं, कि तुम लोग जो सदा ये कहते रहते हो, कि एक बार जीवन की जिम्मेदारियां पूरी हो जाये तो, मौज करूं, घूमूं फिरूं, सबसे मिलूं, सेवा करूं, भजन करू, किसी के काम आऊँ आदि ।

जैसे नदी का जल बहना कभी खत्म नहीं होगा, और हमें ही जल से उस पार जाने का रास्ता बनाना है।  इसी प्रकार जीवन खतम हो जायेगा, पर जीवन के काम कभी खतम नहीं होंगे।

ईश्वर को सदैव धन्यवाद देते रहें। 

*ओम् श्री आशुतोषाय नम:*

"श्री रमेश जी"

Post a Comment

Previous Post Next Post