उसने तो हद ही पार कर डाली, खेल गया क्रूरता की दिवाली।

 

             मनचसीन साहित्यकार जन

भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 789वी कविगोष्ठी दिव्य विकास मंदिर, पादरी बाजार, गोरखपुर के प्रांगढ़ में सम्पन्न हुई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. के. के. श्रीवास्तव जी रहे व अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार श्री राम सुधार सिंह सैथवार जी ने की तथा संचालन डा.सत्य नारायण 'पथिक'ने किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ कवि दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल' द्वारा मां सरस्वती की वंदना से हुई।

तत्पश्चात युवा कवयित्री सुश्री शिवागिंनी त्रिपाठी ने बचपने की बात यूं की -

     हम बड़े - बूढ़े/बच्चों में/अपना बचपन/तलाश करते हैं!

युवा कवि राघवेन्द्र मिश्र ने पुराने सिक्कों की तरफ याद दिलाया -

चलन से चार आना चला गया,

यानी इक ज़माना चला गया ।

युवा भोजपुरी कवि कुमार अभिनीत ने शहीद जवान की वेदना को प्रस्तुत किया -

सून परल सगरी सिवान ,जवान घरे आइल नाही 

रहि गइल बाकी निसान ,जवान घरे आइल नाही।।

मुख्य अतिथि डा.के.के.श्रीवास्तव ने कवियों की ओर मुखातिब होते हुए कहा -हर चीज भाव से उत्पन्न होती है कवि की कविता भी मन के भाव से ही उत्पन्न होती है।

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गीतकार श्री राम सुधार सिंह सैथवार ने पहलगाम हमलें पर गीत पढ़ते हुए बदले की बात यूं की -

उसने तो हद ही पार कर डाली,

खेल गया क्रूरता की दिवाली।

अब तो कहर बनकर टूटना होगा, आग बदले की न जाए खाली।।

अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया , उनके नाम है - श्रीमती वंदना सूर्यवंशी, सर्वश्री दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल' , ज्ञानेश 'नापित' , अरविंद 'अकेला' डा. सत्यनारायण 'पथिक'

अरुण 'सदाबहार' आर.आर.सिन्हा आदि। श्रोताओं में सुश्री सुकन्या त्रिपाठी उपस्थित रहीं।

अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया वरिष्ठ चित्रकार एवं कवि भाई आर.आर. सिन्हा ने।

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