सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
श्री आर सी सिंह जीएक मूर्तिकार अनगढ़ पत्थर से एक सुंदर मूर्ति तराश देता है, जो पूज्यनीय बन जाती है। यही कार्य गुरु भी करता है। उसे भी अपने अनगढ़ शिष्य में एक श्रेष्ठ मानव दिखाई पड़ता है। उसे तरासने हेतु उन सभी दुर्गुणों को काटता है, छांटता है जो उसकी आकृति को भद्दा बनाए हुए है। गुरु अपने सधे हुए हाथों से एक ऐसे श्रेष्ठ मानव का निर्माण करता है जो समाज के लिए एक आदर्श बन जाता है।
ब्रह्मज्ञान के मार्ग पर पूर्ण दृढ़ता के साथ चलें।
इतनी साधना करें कि भीतर प्रज्ज्वलित ज्ञान अग्नि प्रखर हो उठे। मनुष्य जन्म पा लेना बड़ी बात नहीं, अपितु मनुष्य बन जाना बड़ी उपलब्धि है।
आज हर व्यक्ति अशांत और समाज आक्रांत है। यदि मनुष्य में शांति और समाज में क्रांति का सूत्रपात कोई कर सकता है तो वह ब्रह्मज्ञान है।
अतः हमें ज्ञान के मार्ग पर चलकर संकल्प धारण करना है कि ब्रह्मज्ञान को सर्वसाधारण तक पहुंचाएं। जन-जन में इस ज्ञान का प्रचार करके सभी को श्रेष्ठता का राह दिखाएं।
**ओम् श्रीआशुतोषाय नमः**
"श्री रमेश जी"
