**बाजार से बकरा खरीदकर लाओ और उसे मारकर खा जाओ। क्या ये कुर्बानी है?**

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

कुर्बानी किसे कहते हैं, हम बताते हैं.......। 

राजा दिलीप शेर से बोले- हे वनराज, तुम इस गऊ के बदले मेरा भक्षण कर लो! ... यह है कुर्बानी !

महाराज शिवि बोले- हे पक्षी राज, इस कबूतर के बदले मैं अपने शरीर का मांस देता हूँ! ... इसे कहते हैं कुर्बानी!

शैतानों को मारने की खातिर वज्र बनाने के लिए दधीचि ने स्वेच्छा से अपनी हड्डियां प्रदान कर दीं, ये है कुर्बानी! 

राजा रन्ति देव ने चालीस दिन के अकाल के बाद मिले भोजन को भी दान कर दिया, इसे कहेंगे कुर्बानी!

महारानी पद्मिनी ने म्लेच्छों से अपनी सतीत्व और देश के स्वाभिमान व इज्जत बचाने के लिए जौहर कर अपने अस्तित्व व जीवन को भी कुर्बान कर दिया !

अपने देश के युवराज उदय सिंह को बचाने के लिए पन्ना धाय ने अपने बेटे चंदन का बलिदान कर दिया, यह है कुर्बानी!

मातृभूमि की रक्षा की खातिर महाराणा प्रताप ने महल छोड़ जंगल में घास की रोटी खाकर जीवन व्यतीत किया, इसे कहेंगे कुर्बानी!

छोटे साहबजादे जिन्दा दीवार में चिनवा दिए गए मगर उन्होंने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम नहीं कबूला, यह है कुर्बानी!

महाराजा छत्रसाल ने समस्त धन खर्च कर सेना तैयार किया मुगलों से प्रजा की रक्षा के लिए, यह है कुर्बानी!

धर्म की रक्षा के लिए संभाजी महाराज ने टुकड़े-टुकड़े होकर मरना मंजूर किया, यह है कुर्बानी!

झांसी की रानी ने अपने जीते जी अपनी मातृभूमि अंग्रजों को नहीं सौंपी और मातृभूमि के लिए कुर्बान हो गईं !

80 वर्ष की आयु में भी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए बाबू वीर कुंवर सिंह अंग्रेजों को भगाने के लिए रणभूमि में उतर गये, यह है कुर्बानी!

राम मंदिर को बनाने की खातिर कई रामभक्त, कारसेवक बलिदान हो गये, यह है कुर्बानी!

कुर्बानी सीखना है तो हमसे सीखो...  जय सनातन। 

**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**

"श्री रमेश जी"

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