सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
अमेरिका के एक धनवान व्यक्ति ने स्वामी रामतीर्थ से एक प्रश्न किया- 'स्वामी जी,
आपके पास न तो घर है और न ही कोई अन्य सांसारिक सम्पत्ति। फिर सब आपको 'बादशाह' क्यों कहते हैं?' प्रश्न सुनकर स्वामी जी मुस्कुराए और बोले- 'मेरे पास कुछ नहीं है, फिर भी मुझे कुछ पाने की इच्छा नहीं है। बस इसलिए ही मैं सम्राट हूँ। तुम अपनी तृष्णाओं और इच्छाओं को सांसारिक पदार्थों के माध्यम से पूर्ण करने की कोशिश करते हो। पर मैं इच्छाओं का दास नहीं हूँ। मैं तो ईश्वर के जगत में विचरता हूँ, अतः मैं बादशाह हूँ।
सत्य ही तो है। पूर्ण संत सम्राट ही होते हैं, जो अपने आध्यात्मिक तेज से पूरे विश्व को आलोकित करते हैं। भाग्यशाली होते हैं वे लोग जो ऐसे संतों के उपदेश को प्राप्त करते हैं।
अतः हमें भी ऐसे संत के सानिध्य में जाना चाहिए, जो हमारे मानव जन्म को सार्थक बना दे।
**ओम् श्री आशुतोषाय नमः**
"श्री रमेश जी"
