सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।
मांसाहार का सेवन करना हिन्दू संस्कृति में वर्जित है।क्योंकि यह मनुष्य का नहीं, राक्षसी भोजन है। जो तरह तरह के अमृतपूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस जैसे पदार्थों को खाते हैं, ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है। इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।
मनुस्मृति में वर्णित है, "जो व्यक्ति अपने सुख के लिए निरपराध प्राणियों की हत्या करता है, वह इस लोक और परलोक में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं करता।"
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मांस हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह है---
1. मांस खाने वाले ज्यादातर लोगों में चिड़चिड़ापन और ज्यादा क्रोध होने के लक्षण पाए जाते हैं।
2. मांस खाने से आपके शरीर और मन दोनों अस्वस्थ बन जाते हैं।
3. मांसाहारी खाने वाले लोग गंभीर बिमारियों के चपेट में आते हैं।इनमें हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की बिमारी, कैंसर, गठिया और अल्सर सामिल है।
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन धूम्रपान के समान ही असर करता है।
5. शाकाहारी भोजन करने से मनुष्य स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदुरुस्त रहता है।
6. बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू मुर्गे और सुअरों के सेवन के जरिए मनुष्यों तक पहुंचती है। हर साल इसकी वजह से लाखों लोग मरते हैं।
7. दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है।
8. मांस खाने से मनुष्य की उम्र कम होती है।
9. विज्ञान के अनुसार शाकाहारी लोग मांसाहार की तुलना में डिप्रेशन का शिकार कम बनते हैं।
प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं, जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं, फिर मांस ही क्यों??
**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**
"श्री रमेश जी"
