**ओशो का महानतम कथन**

 सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का चिंतन(अनमोल वचन) प्रस्तुतिकरण श्री आर सी सिंह जी।

                    श्री आर सी सिंह जी 

ओशो ने कहा -

जब से मैंने होश संभाला है लगातार सुनता आ रहा हूँ कि-

"बनिया" कंजूस होता है !!

"नाई" चतुर होता है !!

"ब्राह्मण" धर्म के नाम पर सबको बेवकूफ बनाता है !!

"यादव" की बुद्धि कमजोर होती है !!

"राजपूत" अत्याचारी होते हैं !!

"दलित" गंदे होते हैं !!

"जाट", "गड़रिया" और "गुर्जर" बेवजह लड़ने वाले होते हैं !!

"मारवाड़ी" लालची होते हैं !! 

और ना जाने ऐसी कितनी "असत्य"  परम ज्ञान की बातें सभी हिन्दुओं को आहिस्ते-आहिस्ते सिखाई गयी ...!!

नतीजा!

-- हीन भावना ...!!

 -- एक दूसरे की जाति पर "शक" और "द्वेष"। धीरे-धीरे आपस में टकराव होना शुरू हुआ और अंतिम परिणाम हुआ कि "मजबूत", "कर्मयोगी" और "सहिष्णु"  हिन्दू समाज आपस में ही लड़कर कमजोर होने लगा .....!!

उनको उनका लक्ष्य प्राप्त हुआ! हजारों साल से आप साथ थे! आपसे लड़ना मुश्किल था !!

अब आपको मिटाना आसान है !!

आपको पूछना चाहिए था कि "अत्याचारी राजपूतों" ने सभी जातियों की रक्षा के लिए हमेशा अपना "खून" क्यों बहाया?...

आपको पूछना था कि अगर दलित को "ब्राह्मण" इतना ही गन्दा समझते थे तो वाल्मीकि रामायण जो एक दलित ने लिखी, उसकी सभी पूजा क्यों करते हैं? 

माता सीता क्यों महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं?

आपने नहीं पूछा कि देश को सोने का चिड़िया बनाने में मारवाड़ियों और बनियों का क्या योगदान था?

 मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल बनाने वाले "लोक कल्याण" का काम करने वाले "बनिया" होते हैं! सभी को "रोजगार" देने वाले बनिया होते हैं! सबसे ज्यादा "आयकर" देने वाले बनिया होते हैं.. 

जिस "डोम" को आपने नीच मान लिया, उसी के हाथ से दी गई अग्नि से आपको "मुक्ति" क्यों मिलती है?

"जाट"  ,"गड़रिया" और "गुर्जर" अगर मेहनती - जुझारू नहीं होते तो आपके लिए अन्न का उत्पादन कौन करता? सेना में भर्ती कौन होता। 

जैसे ही कोई किसी जाति की, मामूली सी भी बुराई करे, उसे टोकिये और ऐतराज़ कीजिये...

याद रहे!

आप सिर्फ "हिन्दू" हैं। हिन्दू वो जो हिन्दुस्तान में रहते आये हैं ...!!

हमने कभी किसी अन्य धर्म का अपमान नहीं किया तो फिर अपने हिन्दू भाइयों को कैसे अपमानित करते हो और क्यों ...?

अब न अपमानित करेंगे और न होने देंगे! एक रहें - सशक्त रहें ...!!

मिलजुल कर मजबूत भारत का निर्माण करें !!

मैं ब्राम्हण हूँ, 

जब मै पढ़ता हूँ और पढ़ाता हूँ !!

मैं क्षत्रिय हूँ, 

जब मैं अपने परिवार की रक्षा करता हूँ !!

मैं वैश्य हूँ, 

जब मैं अपने घर का प्रबंधन करता हूँ !!

मैं शूद्र हूँ, 

जब मैं अपने घर की साफ-सफाई करता हूँ !!

ये सब मेरे भीतर है इन सबके संयोजन से मैं बना हूँ !!

क्या मेरे अस्तित्व से किसी एक क्षण के लिए भी, आप इन्हें अलग कर सकते हैं? 

क्या किसी भी जाति के "हिन्दू" के भीतर से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र को अलग कर सकते हैं। 

वस्तुतः सच यह है कि हम सुबह से रात तक इन चारों वर्णों के बीच बदलते रहते हैं !!

मुझे गर्व है कि मैं एक हिंदू हूं !!

मेरे टुकड़े-टुकड़े करने की कोई कोशिश न करें ...!!

मैं हिन्दू हूं, हिन्दुस्तान का, 

मैं पहचान हूँ हिन्दुस्तान की .!!!

जय हिंद..

**ओम् श्री आशुतोषाय नम:**

"श्री रमेश जी"विचारक

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